होम लोन की ब्याज दर: होम लोन लंबी अवधि का लोन होता है जिसके कारण होम लोन की ब्याज दर बहुत महत्वपूर्ण होती है। जहां तक होम लोन की ब्याज दर की बात की जाए तो होम लोन की न्यूनतम ब्याज दर लगभग 6.50 प्रतिशत व अधिकतम 16.50 प्रतिशत तक हो सकती हैं। हालांकि बहुत से बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी समय समय पर होम लोन की ब्याज दरों में विशेष छूट भी देते हैं।
होम लोन के लिए बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा दो तरह से ब्याज लागू किया जाता हैं। फिक्स्ड ब्याज दर या फ्लोटिंग ब्याज दर, दोनों ही तरह की ब्याज दर अलग अलग तरह से महत्वपूर्ण होती हैं। इनकी जानकारी होम लोन लेने से पहले हर किसी को होनी चाहिए।
चूंकि होम लोन लंबी अवधि का लोन होता हैं जिसके कारण ब्याज दर का बहुत ज्यादा फाइनेंशियल प्रभाव हो सकता हैं। ब्याज दर कम होने पर ना सिर्फ ईएमआई पर असर पड़ेगा बल्कि ब्याज का भुगतान भी कम करना होगा। इसलिए होम लोन लेते समय ब्याज दर पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सभी बैंकों की होम लोन ब्याज दरें
बैंक / फाइनेंस कंपनी | वार्षिक ब्याज दर प्रतिशत | न्यूनतम प्रोसेसिंग फीस |
---|---|---|
एसबीआई | 6.70% – 7.65% | 0.50% या अधिकतम ₹10,000 |
बैंक ऑफ इंडिया | 6.50% – 8.35% | 0.25% या अधिकतम ₹25,000 |
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस | 6.70% – 7.85% | 0.0% – 0.5% |
एचडीएफसी | 6.70% – 8.70% | 0.50% |
पंजाब नेशनल बैंक | 6.50% – 7.95% | 1.0% |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 6.50% – 8.25% | 0.5% या अधिकतम ₹7,000 |
सैन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया | 6.85% – 7.30% | 0.5% |
पंजाब एंड सिंध | 6.50% – 7.60% | 0.25% या अधिकतम ₹15,000 |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 6.60% – 7.65% | 0.50% |
आईसीआईसीआई बैंक | 6.70% – 7.55% | 0.50% |
कोटक महिंद्रा बैंक | 6.55% से शुरू | 0.5 – 1.0% |
उज्जीवन स्माल फाइनेंस बैंक | 12.75% – 17.75% | 1.50 – 2.0% |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 6.40% – 8.55% | 0.25% या अधिकतम ₹25,000 |
इंडियन बैंक | 6.50% – 7.70% | 0.40% |
ऐक्सिस बैंक | 6.75% – 11.50% | 1.0% न्यूनतम ₹10,000 |
केनरा बैंक | 6.65% – 11.45% | 0.50% |
यूको बैंक | 6.50% – 7.00% | 0.50% या अधिकतम ₹15,000 |
बजाज फिनजर्व | 6.65% – 14% | 0.50% |
आईडीबीआई | 6.75% – 9.90% | 0.50% |
श्रीराम फाइनेंस | 15.0% से शुरू | 0.50% |
इंडिया शेल्टर फाइनेंस | 13.0% – 20.0% | 2 – 3% |
साउथ इंडियन बैंक | 7.30% – 10.05% | 0.50% |
सुंदरम हाउसिंग फाइनेंस | 7.0% से शुरू | 0.50% |
चोलामंडलम हाउसिंग फाइनेंस | 10% से शुरू | 1.0% |
मैग्मा हाउसिंग फाइनेंस | 11.50% से शुरू | 1.0% |
इंडियाबुल्स | 8.65% से शुरू | 0.5% या अधिकतम ₹15,000 |
नोट: बैंक व आरबीआई के अनुसार ब्याज दर व प्रोसेसिंग में परिवर्तन संभव हैं। बताई गई दरें कुछ समय के लिए भी हो सकती हैं। तथा होम लोन ब्याज दरें बिना किसी सूचना के बदली भी जा सकता हैं।
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होम लोन ब्याज दर के प्रकार
होम लोन के लिए दो तरह से ब्याज दर लागू की जा सकती हैं। फ्लोटिंग रेट या फिक्स्ड रेट। दोनों तरह की ब्याज दरों की निम्न विशेषताएं हैं-
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में ब्याज दर कई कारकों से प्रभावित हो सकती हैं। जिससे ब्याज की रकम में बढ़ोतरी या कमी की संभावना बनी रहती हैं। रेपो रेट या बाजार दरों के कारण समय के साथ फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में परिवर्तन संभव होता हैं। इसके साथ ही ईएमआई में भी अंतर देखने को मिल सकता हैं। भविष्य में रेपो रेट या मार्किट की ब्याज दर में गिरावट की संभावना को देखते हुए फ्लोटिंग रेट का विकल्प बहतर हो सकता हैं।
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट
होम लोन लेते समय वर्तमान ब्याज दर लोन की पूरी अवधि में एकसमान बनी रहती हैं। इसके साथ ही लोन की ईएमआई भी स्थिर रहती हैं। अर्थात लोन लेते समय पहले ही ब्याज दर निश्चित कर दी जाती हैं। जो लोन की पूरी अवधि के लिए लागू होती हैं। रेपो रेट या बाजार की ब्याज दर का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं। हालांकि एक निश्चित अवधि के बाद उधारकर्ता के अनुसार होम लोन की फिक्स्ड ब्याज दर को फ्लोटिंग ब्याज दर में तब्दील भी किया जा सकता हैं। उधारकर्ता के लिए भविष्य की अनिश्चितता से बचने के लिए फिक्स्ड ब्याज दर अच्छा विकल्प हो सकता हैं।
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होम लोन की ब्याज दर को प्रभावित करने वाले कारक
होम लोन की ब्याज दर को बहुत से कारक प्रभावित करते हैं। हालांकि होम लोन सिक्योर्ड लोन होता हैं। तथा अन्य लोन की ब्याज दर की तुलना में होम लोन की ब्याज दर कम होती हैं। इसके अतिरिक्त बहुत से कारक हैं जो होम लोन इंटरेस्ट रेट के लिए महत्वपूर्ण होते हैं-
आवेदक की इनकम
आवेदनकर्ता की इनकम ब्याज दर को प्रभावित करती है। अधिक इनकम होने पर बैंक के लिए लोन की रिपेमेंट का जोखिम कम रहता है। जिसके चलते ब्याज दर कम लागू की जा सकती हैं। वही आवेदक की आय कम होने पर रिपेमेंट मे अधिक जोखिम रहता हैं जिसके कारण होम लोन की ब्याज दर अधिक निर्धारित की जाती हैं।
इनकम का स्रोत
आवेदक की इनकम ही नहीं बल्कि इनकम का स्रोत भी लोन की ब्याज दर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। नौकरीपेशा वाले व्यक्ति की आय स्थिर होती हैं जिसके कारण बैंक, नौकरी करने वाले आवेदनकर्ताओं को कम ब्याज दर पर लोन मुहैया करता हैं। इसके अतिरिक्त स्व-रोजगार वाले व्यक्ति की आय अस्थिर होती हैं क्योंकि बिजनेस में उतार चढ़ाव की संभावना हमेशा बनी रहती हैं। इसलिए बिजनेस करने वाले आवेदनकर्ता को लोन देने में रिस्क अधिक होता हैं। इसी कारण स्व-रोजगार वाले व्यक्ति को अधिक ब्याज दर पर लोन मिलता हैं। इसके साथ ही नौकरी करने वाले व्यक्ति को लोन के अप्रुवल में आसानी होती हैं।
आवेदक की उम्र
आवेदनकर्ता की उम्र अधिक होने पर भी ब्याज दर अधिक रहती है। जबकि कम उम्र के आवेदनकर्ताओं को कम ब्याज दर पर होम लोन मिलने की संभावना रहती हैं। होम लोन के लिए आवेदक की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए।
आवेदकों की संख्या
आवेदकों की संख्या होम लोन की ब्याज दर को प्रभावित करती हैं। अकेले आवेदक की तुलना में एक से अधिक आवेदक होने पर ब्याज दर कम लागू होती हैं। क्योंकि एक से अधिक आवेदक होने पर रिस्क कम होता हैं जिसके कारण ब्याज दर कम तय की जाती हैं। इतना ही नहीं एक से अधिक आवेदक होने पर अधिक रकम का लोन मिलने की संभावना भी बढ़ जाती हैं।
सिबिल स्कोर
किसी भी तरह के लोन के लिए सिबिल स्कोर अच्छा होना बेहद जरूरी होता है। होम लोन के लिए भी सिबिल स्कोर बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। अच्छा सिबिल स्कोर होने पर लोन अप्रुवल जल्दी मिलने के साथ-साथ ब्याज दर भी कम लागू की जाती है। हालांकि होम लोन सिक्योर्ड लोन होता हैं। जिसके लिए अपने घर को सिक्योरिटी के तौर पर बैंक के पास गिरवी रखा जाता हैं। इसके बावजूद भी होम लोन के लिए आवेदनकर्ता का सिबिल स्कोर अच्छा होना चाहिए। 750 या अधिक का सिबिल स्कोर को अच्छा माना जाता हैं।
होम लोन का प्रकार
होम लोन के अंतर्गत कई तरह के लोन आते हैं। ये लोन अलग अलग स्कीमों के तहत लिये जाते हैं। जैसे प्लाट लोन, एनआरआई होम लोन या अन्य विशेष होम लोन इन सबके लिए ब्याज दर अधिक निर्धारित की जाती हैं। जबकि नियमित होम लोन के तहत ब्याज दर कम होती है। जैसे मकान खरीदने के लिए लिया गया लोन या मकान की मरम्मत के लिए लिया गया लोन इनके लिए ब्याज दर कम होती हैं।
लोन की रकम
अधिक राशि का होम लोन लेने पर ब्याज दर भी अधिक होती हैं। जबकि कम राशि का लोन कम ब्याज दर पर मिलता हैं। ऐसा इसलिए होता हैं क्योंकि अधिक राशि के लोन पर रिस्क अधिक होता हैं जिसके कारण ब्याज दर अधिक लागू की जाती हैं। होम लोन के लिए 30 लाख रुपए तक का लोन कम ब्याज दर पर मिलता हैं। जबकि इससे अधिक रकम का लोन तुलनात्मक रूप से अधिक ब्याज दर पर मिलता हैं।
लोन टू वैल्यू रेश्यो (LTV)
होम लोन के लिए लोन टू वैल्यू रेश्यो (Loan To Value Ratio) बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी कम लोन टू वैल्यू रेश्यो होने पर कम ब्याज दर पर लोन मुहैया करते हैं। जबकि लोन टू वैल्यू रेश्यो बढ़ाने पर ब्याज दर भी बढ़ा दी जाती हैं। LTV का सीधा असर लोन की राशि पर पड़ता हैं। अधिक एलटीवी अनुपात होने पर अधिक राशि का लोन मिल सकता हैं। जबकि कम एलटीवी अनुपात होने पर होम की वैल्यू के अनुसार कम रकम का लोन ही मिल सकता हैं।
एक्सटर्नल बैंचमार्क रेट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट और भारत सरकार द्वारा ट्रेजेडी बिल के अनुसार भी होम लोन की ब्याज दर में कमी या बढ़ोत्तरी हो सकती हैं। फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार एक्सटर्नल बैंचमार्क रेट में बदलाव से सभी बैंकों की ब्याज दर प्रभावित होती हैं।
आवेदक का जेंडर
आवेदक महिला हैं या पुरुष इसका प्रभाव होम लोन की ब्याज दर पर पड़ता हैं। महिलाओं के लिए होम लोन की ब्याज दर कम होती हैं जबकि पुरुष आवेदकों के लिए ब्याज दर अधिक निर्धारित की जाती हैं। बहुत से बैंक महिलाओं के लिए ब्याज दर में विशेष छूट की पेशकश भी करते हैं। इस तरह से आवेदकों में महिला को सह-आवेदक बनाने पर ब्याज में छूट मिल सकती हैं।
बैंक या एनबीएफसी
बैंक की तुलना में हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एनबीएफसी की होम लोन की ब्याज दर अधिक होती हैं। हालांकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एनबीएफसी से लोन मिलना थोडा आसान होता हैं। इसके अतिरिक्त हाउसिंग फाइनेंस कंपनी द्वारा अधिक लोन टू वैल्यू रेश्यो व अधिक रकम के साथ होम लोन प्राप्त हो जाता हैं।
लोन की अवधि
लंबे समय के लिए लोन लेने पर ब्याज दर अधिक चुकानी पड़ती है। जबकि छोटी अवधि का लोन कम ब्याज दर पर भी मुहैया हो जाता हैं। लंबी अवधि के लिए लोन देने पर बैंक को रिस्क भी लंबे समय रहता हैं जिसके कारण ब्याज दर अधिक होती हैं।
आवेदक की लोन हिस्ट्री
किसी भी लोन के लिए आवेदक की लोन हिस्ट्री / क्रेडिट हिस्ट्री का अच्छा होना बहुत जरूरी होता हैं। होम लोन के तहत यदि बैंक को वास्तव में लगता है कि लोन की रिपेमेंट होना मुश्किल है तो बैंक होम लोन देने से मना भी कर सकता हैं। क्योंकि बैंक के लिए लोन का नियमित रूप से भुगतान होना ही सबसे अच्छा होता है। किसी गिरवी रखी प्राॅपर्टी को बेचकर लोन की रिकवरी करने में भी बैंक का अतिरिक्त समय व पैसा लगता है जिसके कारण आवेदनकर्ता का सिबिल स्कोर / क्रेडिट हिस्ट्री खराब होने पर बैंक अधिक ब्याज दर पर लोन देता है।
अन्य लोन व लायबिलिटी
बैंक लोन देते समय आवेदक द्वारा वर्तमान में लिए गए अन्य लोन व लायबिलिटी को ध्यान में रखकर लोन मंजूर करता हैं। यदि आवेदनकर्ता के अन्य लोन की ईएमआई या खर्चें अधिक हैं तो बैंक कम रकम का लोन मंजूर करता हैं व अधिक ब्याज दर भी लागू करता हैं।
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मौजूदा होम लोन के ब्याज को कैसे कम करें?
- अपने मौजूदा होम लोन की ब्याज दर को कम करने के लिए उधारकर्ता निम्न तरीकों को अपना सकते हैं-
- अपने मौजूदा होम लोन को किसी अन्य बैंक में ट्रांसफर कर सकते हैं जिसकी होम लोन की ब्याज दर कम हो।
- अपने होम लोन का जल्द से जल्द भुगतान करने की कोशिश करें। जल्दी भुगतान करने के लिए ईएमआई बढ़ा सकते हैं।
- प्री-पेमेंट के जरिए भी लोन की कुछ रकम का भुगतान कर सकते हैं। इससे कम ब्याज का भुगतान करना होगा।
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कम ब्याज दर पर होम लोन कैसे प्राप्त करें?
यदि आप न्यूनतम ब्याज दर पर होम लोन लेना चाहते हैं। तो आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अपना सिबिल स्कोर बहतर रखें:
आपका सिबिल स्कोर ही आपकी फाइनेंशियल हैल्थ को दर्शाता हैं। आपका क्रेडिट स्कोर 900 अंक के जितना करीब होगा आपके लिए उतना ही ज्यादा फायदेमंद होगा। चूंकि अधिक क्रेडिट स्कोर अच्छा फाइनेंशियल व्यवहार को दर्शाता हैं। तथा कम क्रेडिट स्कोर खराब फाइनेंशियल व्यवहार को दर्शाता हैं। जिसके कारण कम सिबिल स्कोर होने पर अधिक ब्याज दर पर लोन मिलता हैं। वहीं अधिक क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति कम ब्याज दर पर लोन का लाभ उठा सकते हैं।
संयुक्त रूप से आवेदन करें:
होम लोन के लिए आवेदक के रूप में अकेले आवेदन करने पर ब्याज दर अधिक हो सकती हैं। इसलिए संयुक्त रूप से आवेदन करना फायदेमंद होता हैं। सह-आवेदक के रूप में आपके परिवार का कोई सदस्य हो सकता हैं। महिला सह-आवेदक होने पर ब्याज दर में अतिरिक्त छूट भी मिल जाती हैं। इसलिए अकेले आवेदक की जगह संयुक्त रूप से आवेदन करना बहतर होता हैं।
डाउन पेमेंट अधिक रखें:
घर खरीदने के लिए लिया गये होम लोन के तहत डाउन पेमेंट अधिक करने पर भी ब्याज में कटौती की जा सकती हैं। ऐसा करने पर आपको कम रकम का लोन लेना होगा। जिसके साथ ब्याज दर भी कम लागू होगी।
लोन टू वैल्यू रेश्यो कम रखें:
घर की वैल्यू के अनुसार ही होम लोन की राशि तय की जाती हैं। इसलिए लोन टू वैल्यू रेश्यो होम लोन के लिए महत्वपूर्ण होता हैं। लोन लेते समय कोशिश करें कि कम या न्यूनतम लोन टू वैल्यू रेश्यो पर लोन लिया जाए। ऐसा करने पर ब्याज दर कम लागू की जाती हैं। बैंक आमतौर पर घर की वैल्यू का 50 से 80 प्रतिशत लोन मुहैया करते हैं। अधिक लोन टू वैल्यू पर लोन लेने पर अधिक रकम का लोन मिल सकता हैं मगर ब्याज दर भी अधिक ही चुकानी होगी।
बैंक बनाम हाउसिंग फाइनेंस कंपनी:
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एनबीएफसी की होम लोन की ब्याज दरें बैंक की तुलना में ज्यादा होती हैं इसलिए हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एनबीएफसी से लोन लेने पर अधिक ब्याज दर चुकानी पड़ती हैं। जबकि बैंक कम ब्याज दरों पर लोन मुहैया कराते हैं। हालांकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी या एनबीएफसी से लोन मिलना थोडा आसान होता हैं। साथ ही कई स्कीमों के तहत अधिक रकम का लोन भी लिया जा सकता हैं।
रिड्यूसिंग बैलेंस रेट चुनें:
फ्लैट रेट या रिड्यूसिंग बैलेंस रेट इन दोनों विधियों द्वारा लोन के ब्याज की गणना की जाती हैं। फ्लैट रेट के तहत ब्याज हमेशा अधिक चुकाना होता हैं। क्योंकि फ्लैट रेट होने पर लोन की संपूर्ण अवधि में पूरी रकम पर ब्याज की गणना की जाती हैं। जबकि रिड्यूसिंग बैलेंस रेट में हर ईएमआई के साथ मूलधन कम होता जाता है जिसके अनुसार ब्याज भी कम होता जाता हैं।
विशेष | फ्लैट रेट | रिड्यूसिंग बैलेंस रेट |
---|---|---|
लोन की रकम | 20 लाख | 20 लाख |
अवधि | 10 वर्ष | 10 वर्ष |
ब्याज दर | 7% | 7% |
कुल ब्याज | ₹14,00,000 | ₹7,86,604 |
ईएमआई | ₹28,333 | ₹23,222 |
चुकाने योग्य रकम (मूलधन + ब्याज) | ₹34,00,000 | ₹27,86,604 |
इस तरह से 20 लाख रुपए का होम लोन 10 साल के लिए लिया जाता हैं। जिसकी वार्षिक ब्याज दर 7.0 प्रतिशत हैं तब फ्लैट रेट से कुल ब्याज 14 लाख रूपए होगा जबकि रिड्यूसिंग बैलेंस रेट के आधार पर ब्याज दर 7,86,604 रूपए होगा इस तरह से रिड्यूसिंग बैलेंस रेट के अनुसार ब्याज कम चुकाना होता हैं। हालांकि अधिकतर बैंक होम लोन के लिए रिड्यूसिंग बैलेंस रेट के आधार पर ही ब्याज लागू करते हैं।
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होम लोन विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
- घर खरीदने के लिए होम लोन लेने पर सर्वप्रथम खरीदें जाने वाले घर की ज़रूरी जांच करें।
- बैंक व हाउसिंग फाइनेंस कंपनी की होम लोन ब्याज दरों व अन्य शुल्क की तुलना करें जो बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी किफायती दरों पर लोन मुहैया कराएं उसे ही प्राथमिकता दें।
- अपनी आवश्यकता के अनुसार से ही लोन लें। अधिक लोन लेने पर अधिक ब्याज का भुगतान करना होता हैं।
- जितना लोन आसानी से चुकाया जा सकें उतना लोन ही लें। होम लोन लंबी अवधि का लोन होता हैं जिसका भुगतान करना भविष्य में मुश्किल हो सकता हैं।
- होम खरीदने के लिए डाउन पेमेंट अधिक रखें जिससे कम राशि का लोन लेने की आवश्यकता होगी।
- बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से सभी शुल्कों के बारे में पहले ही सुनिश्चित कर लें।
- जल्दी लोन लेने के लिए सभी जरूरी दस्तावेजों को तैयार रखें।
- लोन लेने से पहले अपने क्रेडिट स्कोर को बहतर करें। इससे आप कम ब्याज दर पर लोन लें पाएंगे।
- होम लोन के लिए अलग-अलग बैंक या एनबीएफसी में एक साथ आवेदन ना करें। ऐसा करने से आपका क्रेडिट स्कोर डाउन हो सकता है।
- होम लोन लेने से पहले कोई अन्य लोन ना लें। क्योंकि अन्य लोन लेने पर आपकी लोन के लिए पात्रता कम हो जाती हैं।
- अधिक ब्याज से बचने व जल्दी भुगतान करने के लिए प्री-पेमेंट विकल्प के इस्तेमाल करने पर विचार करें।
- अपने क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च ना करें। और क्रेडिट कार्ड के बिल भुगतान में कोई चूक ना करें। इनका नकारात्मक असर आपकी पात्रता पर पड़ता हैं।
- होम लोन की सभी ईएमआई का भुगतान समय पर करें। ऐसा करके आप अतिरिक्त शुल्क से बच सकते हैं।
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होम लोन FAQs
भारत में बहुत से बैंक हैं जो बहतर दरों पर होम लोन मुहैया करते हैं। हालांकि सभी बैंकों की सुविधाओं में कुछ अंतर होता हैं जिसके कारण ब्याज व अन्य शुल्क में भी अंतर होता हैं। कुछ बैंकों व हाउसिंग फाइनेंस जो होम लोन के लिए बहतर हो सकते हैं-
• भारतीय स्टेट बैंक
• एक्सिस बैंक
• एचडीएफसी बैंक
• आईसीआईसीआई बैंक
• एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस
• बजाज फिनजर्व
• बैंक ऑफ बड़ौदा
• पंजाब एंड सिंध बैंक
• पंजाब नेशनल बैंक
होम लोन की ब्याज दर कई कारकों से प्रभावित हो सकती हैं जैसे-
• आवेदक की इनकम
• आवेदक की आयु
• लोन की अवधि
• लोन की रकम
• सिबिल स्कोर
• रेजिडेंशियल एरिया
• होम लोन का प्रकार।
आमतौर पर बैंक द्वारा होम लोन की ब्याज दर एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से कम होती हैं। अर्थात हाउसिंग फाइनेंस कंपनी की होम लोन की ब्याज दरें अधिक होती हैं।
अपने मौजूदा होम लोन के ब्याज को निम्न तरीकों से कम किया जा सकता हैं।
• होम लोन बैलेंस ट्रांसफर करके
• प्री-पेमेंट करके
• मासिक ईएमआई बढ़ाकर
• फिक्स्ड रेट या फ्लोटिंग रेट दोनों की तुलना करके निम्न दर को चुनकर।
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