भारतीय स्टेट बैंक बंधक ऋण (SBI Mortgage Loan) से आप अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकते है।
भारतीय स्टेट बैंक लोन एगेंस्ट प्रापर्टी (LAP) के तहत 15 करोड तक का लोन लिया जा सकता है। होम लोन के बाद सबसे सस्ती ब्याज दरों पर मिलने वाला लोन बंधक लोन (Mortgage Loan) होता हैं।
बंधक लोन को माॅर्गेज लोन या प्राॅपर्टी लोन भी कहते हैं। इसके तहत ऊधारकर्ता अपनी संपत्ति (प्राॅपर्टी) को बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखकर लोन ले सकता हैं। ऊधारकर्ता की संपत्ति सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी रखी जाती हैं। वहीं गिरवी रखी गई प्राॅपर्टी के लिए भी कई मानदंड तय किए जाते हैं जिन्हें पूरा करने के बाद ही प्राॅपर्टी माॅर्गेज (बंधक) करने लायक है या नहीं सुनिश्चित करने के बाद ही बैंक लोन देता हैं।
इस पेज में आपको स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बंधक लोन (मार्गेज लोन) से संबंधित जरूरी जानकारी जानने को मिलेगी साथ ही कुछ ऐसी बातें जो आपको प्राॅपर्टी लोन लेते समय ध्यान रखनी चाहिए।
एसबीआई बंधक लोन मुख्य बिंदु
ब्याज दर | 8.60% से 10% |
प्रोसेसिंग फीस | 1% |
न्यूनतम रकम | 10 लाख |
अधिकतम रकम | 5 करोड |
रिपेमेंट अवधि | अधिकतम 15 साल |
अधिकतम आयु सीमा | 70 वर्ष |
न्यूनतम मासिक आय | ₹25000 |
लोन टू वैल्यू रेश्यो | 1 करोड़ तक: 65% 1 करोड से ऊपर: 60% |
एसबीआई माॅर्गेज लोन इंटरेस्ट रेट
भारतीय स्टेट बैंक माॅर्गेज लोन के तहत 8.6% से 10% तक वार्षिक ब्याज दर होती हैं। हालांकि लोन की ब्याज दर लोन की रकम व आवेदनकर्ता के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं। लोन की रकम बढ़ने के साथ-साथ ब्याज दर मे भी बढ़ोतरी होती हैं।
लोन की रकम | वार्षिक ब्याज दर |
---|---|
1 करोड़ तक | 1 Year MCLR + 1.6% = 8.60% |
1 से 2 करोड़ तक | 1 Year MCLR + 2.10% = 9.10% |
2 से 5 करोड़ तक | 1 Year MCLR + 2.5% = 9.5% |
SBI लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी प्रोसेसिंग फीस
भारतीय स्टेट बैंक से प्राॅपर्टी के विरुद्ध लोन लेने पर एक प्रतिशत या अधिकतम 50 हजार रूपए प्रोसेसिंग फीस के रूप में चुकानी होती हैं। लोन प्रक्रिया में आने वाले खर्च के लिए बैंक एक छोटी रकम आवेदनकर्ता से वसूलता है जिसे प्रोसेसिंग फीस कहते हैं। प्रोसेसिंग फीस नाॅन-रिफंडेबल होती हैं। प्रोसेसिंग फीस की रकम पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) भी चुकाना होता हैं।
बंधक लोन ब्याज दर तुलना
बैंक का नाम | वार्षिक ब्याज दर |
---|---|
एसबीआई | 8.60% से 10.0% |
एचडीएफसी बैंक | 8.75% – 9.90% |
बैंक ऑफ इंडिया | 8.85-9.35% |
आईसीआईसीआई बैंक | 8.35% – 10.00% |
एक्सिस बैंक | 8.75% – 11% |
बंधन बैंक | 10% – 13.50% |
केनरा बैंक | 9.95% – 11% |
पीएनबी | 8.75% – 10.50% |
एसबीआई बंधक लोन अन्य शुल्क
पीनल इंटरेस्ट | ₹25000 तक कुछ नहीं ₹25000 से ऊपर 2% |
लेट पेमेंट शुल्क | 2% |
चेक बाउंस / ईसीएस / एसआई में डिफ़ाल्ट | ₹250 |
स्टांप ड्यूटी शुल्क | राज्य के अनुसार |
बंधक लोन इंटरेस्ट रेट प्रभावित करने वाले कारक
सिबिल स्कोर (Cibil Score)
अच्छा क्रेडिट स्कोर / सिबिल स्कोर होना लगभग सभी तरह के लोन के लिए महत्वपूर्ण होता है। कम सिबिल स्कोर होने पर लोन अधिक ब्याज दर पर मिलता है। इसके साथ ही लोन की रकम भी कम मंजूर हो पाती हैं। जबकि अच्छा सिबिल स्कोर (750 से ऊपर) होने पर लोन की ब्याज दर कम रहती है। और लोन के अप्रूवल मे भी आसानी हो जाती है। बंधक लोन के लिए भी अच्छा सिबिल स्कोर होना आवश्यक है तभी किफायती ब्याज दर पर लोन मिल सकता हैं।
लोन की रकम (Loan Amount)
बंधक लोन की ब्याज दर लोन की रकम के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं। अधिक रकम का लोन लेने पर बैंक ब्याज दर अधिक रखता हैं जबकि कम रकम का लोन कम ब्याज दर पर मिल जाता हैं। एसबीआई बंधक लोन के तहत एक करोड़ के लोन पर न्यूनतम 8.45%, 2 करोड तक के लोन पर न्यूनतम 9.10% व 5 करोड़ तक के लोन पर न्यूनतम 9.50% ब्याज दर निर्धारित की जाती हैं।
लोन अवधि (Loan Tenure)
लोन की अवधि ब्याज दर को प्रभावित करती है। लंबी अवधि के लिए लोन लेने पर ब्याज दर अधिक हो सकती है। जबकि छोटी अवधि के लोन पर ब्याज कम होती है। हालांकि लोन की अवधि, लोन की रकम व ईएमआई के अनुसार छोटी व लंबी हो सकती हैं।
ऊधारकर्ता की इनकम (Income)
आवेदक की इनकम लोन की ब्याज दर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इनकम ज्यादा या स्थिर इनकम होने पर लोन की ब्याज दर कम हो सकती हैं। बैंक लोन की रिपेमेंट में कम जोखिम होने पर कम ब्याज दर पर लोन मुहैया करा देता है जबकि लोन की रिपेमेंट में जोखिम ज्यादा होने पर लोन की ब्याज दर अधिक तय की जाती है। जब ऊधारकर्ता की आय स्थिर नहीं होती है तो लोन की ब्याज दर अधिक निर्धारित की जाती हैं। क्योंकि अस्थिर आय होने पर लोन की रिपेमेंट में अधिक जोखिम होता हैं।
क्रेडिट इतिहास (Credit History)
ऊधारकर्ता का क्रेडिट इतिहास या लोन इतिहास ना सिर्फ ब्याज दर के लिए महत्वपूर्ण होता हैं बल्कि लोन मिलने या ना मिलने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। यदि ऊधारकर्ता ने पहले भी कोई लोन लिया है जिसकी रिपेमेंट सही ढंग से नहीं की है तो ऐसे में ऊधारकर्ता की क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी नहीं होती है। या कहें कि ऊधारकर्ता से लोन की रिपेमेंट में जोखिम ज्यादा हो सकता हैं। इसलिए लोन की ब्याज दर अधिक तय की जा सकती हैं। यदि ऊधारकर्ता ने अपने पिछले लोन की रिपेमेंट मे किसी तरह की कोई चूक नही की हैं तो। ऐसी स्थिति में लोन की ब्याज दर कम रखी जा सकती हैं।
प्राॅपर्टी का प्रकार (Type of Property)
प्राॅपर्टी लोन के लिए गिरवी रखी जाने वाली प्राॅपर्टी का प्रकार बहुत महत्वपूर्ण होता है।
काॅमर्शियल प्राॅपर्टी या इंडस्ट्रीयल प्राॅपर्टी पर लोन लेने पर ब्याज दर अधिक होती है। जबकि
रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी पर लोन लेने पर ब्याज दर कम हो सकती है।
लोन के लिए कई तरह की प्राॅपर्टी बंधक (Mortgage) की जा सकती हैं-
इंडस्ट्रियल प्राॅपर्टी
रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी
काॅमर्शियल प्राॅपर्टी
किराए का मकान
खाली प्लाट
आफिस आदि।
लोन टू वैल्यू रेश्यो (LTV)
प्राॅपर्टी लोन मे LTV Ratio बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे लोन की रकम निर्धारित होती है साथ ही यह ब्याज दर के लिहाज से बहुत जरूरी होता है। अधिक LTV होने पर ब्याज दर भी अधिक होती है। जबकि कम लोन टू वैल्यू रेश्यो होने पर कम ब्याज दर रहती है। LTV का संबंध लोन की रकम से होता है। अधिक LTV होने पर अधिक रकम का लोन मिल सकता हैं जबकि कम LTV होने पर कम रकम का लोन ही मिल पाता है।
रिपेमेंट क्षमता (Repayment Capacity)
ऊधारकर्ता की रिपेमेंट क्षमता भी लोन के ब्याज दर को प्रभावित कर सकती हैं। ऊधारकर्ता की रिपेमेंट क्षमता इनकम व खर्चों के हिसाब से तय होती है। अधिक खर्च या अन्य लोन की ईएमआई होने पर रिपेमेंट क्षमता कम होती है जिसके कारण ब्याज दर अधिक हो सकती है। वहीं रिपेमेंट क्षमता अधिक होने पर कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता हैं।
सह आवेदक Co-Borrowers
लोन के लिए एक व्यक्ति के साथ एक या दो अन्य व्यक्ति सह-आवेदक बन सकते हैं। इससे ब्याज दर में फायदा मिल सकता हैं क्योंकि अकेले व्यक्ति के लिए लोन की रिपेमेंट करना मुश्किल हो सकता है जबकि दो या तीन व्यक्तियों के लिए लोन की रिपेमेंट करना आसान होता है इसीलिए बैंक को एक व्यक्ति की तुलना मे दो या तीन व्यक्तियों को लोन देने मे कम जोखिम होता है जिसके कारण ब्याज दर कम हो सकती हैं। इसके लिए सभी सह-आवेदको का भी इनकम सोर्स होना चाहिए।
प्राॅपर्टी लोकेशन (Property Location)
प्राॅपर्टी की लोकेशन भी लोन की ब्याज दर को कम या ज्यादा कर सकती हैं। शहरी इलाके या उच्च कीमत वाली लोकेशन पर प्राॅपर्टी होने पर लोन की ब्याज दर कम हो सकती है जबकि ग्रामीण या निम्न कीमत वाली प्राॅपर्टी पर लोन लेने के लिए ब्याज दर अधिक निर्धारित की जा सकती है।
निवास स्थान (Residential Area)
बैंक व एनबीएफसी पिछले इतिहास को देखते हुए कुछ क्षेत्र में लोन की सुविधाएं देना बंद कर देते हैं क्योंकि वहां के ऊधारकर्ताओं का इतिहास लोन की रिपेमेंट को लेकर अच्छा नहीं होता हैं। ऐसे क्षेत्र मे लोन ना चुकाने का जोखिम अधिक रहता हैं। ऐसी स्थिति में बैंक लोन देने से मना कर देता हैं या अधिक ब्याज दर पर लोन देता हैं।
बैंक / एनबीएफसी
यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बैंकों के मुकाबले एनबीएफसी की ब्याज दर अधिक होती है। प्राॅपर्टी लोन के लिए भी ऐसा ही हैं। यदि आप बैंक से लोन लेते हैं तो आपको कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना रहती है। जबकि एनबीएफसी से लोन लेने पर तुलनात्मक अधिक ब्याज दर लागू होती हैं। वही पब्लिक सेक्टर के बैंकों की ब्याज दर प्राइवेट बैंकों की तुलना मे कम होती है। ब्याज दर मे कम या ज्यादा होने का कारण बैंकों के फिचर्स व लोन मे सहुलियत प्रदान करना हो सकता है।
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एसबीआई बंधक लोन आवश्यक दस्तावेज
• आवेदन फार्म: पूर्ण रूप से भरा हुआ (फोटोग्राफ के साथ)
• पहचान का प्रमाण: आधार कार्ड, पेनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि में से कोई एक होना चाहिए।
• निवास का प्रमाण: निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली बिल, यूटिलिटी बिल आदि में से कोई एक होना चाहिए।
• आय का प्रमाण:
पिछले तीन माह की सैलरी स्लिप
6 महीने की बैंक स्टेटमेंट (जिससे सैलरी आती हों)
फार्म 16 या आयकर रिटर्न।
• प्राॅपर्टी के कागजात जिससे आवेदक मालिक या सह-मालिक हो।
• अन्य दस्तावेज:
यदि वर्तमान नौकरी की अवधि एक साल से कम हैं तो नौकरी का कांट्रेक्ट या अपाइटमेंंट लेटर होना चाहिए।
(बैंक की तरफ से और भी दस्तावेज मांगे जा सकते हैं)
SBI बंधक लोन रिपेमेंट अवधि
एसबीआई बंधक ऋण की रिपेमेंट अवधि न्यूनतम पांच वर्ष हैं जबकि अधिकतम अवधि 15 वर्ष होती हैं। बंधक ऋण (माॅर्गेज लोन) लंबी अवधि के लिए होता हैं। इसलिए लोन की अवधि का चुनाव सोच समझकर करना चाहिए। हालांकि लोन का भुगतान समय से पहले भी किया जा सकता हैं। मगर इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता हैं।
भारतीय स्टेट बैंक बंधक ऋण पात्रता मानदंड
• आवेदनकर्ता की उम्र 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए। (अधिकतम आयु सीमा लोन की समाप्ति तिथि तक होनी चाहिए)
• आवेदनकर्ता का सिबिल स्कोर अच्छा होना चाहिए।
• आवेदनकर्ता वेतनभोगी या स्व-नियोजित, प्रोफेशनल होना चाहिए।
• आवेदनकर्ता की न्यूनतम मासिक आय 25000 रूपए होनी चाहिए।
• आवेदनकर्ता प्राॅपर्टी का मालिक होना चाहिए।
• प्राॅपर्टी के सभी मालिक सह-आवेदक होने चाहिए।
• माॅर्गेज की जाने वाली प्राॅपर्टी की उम्र (विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित) लोन की रिपेमेंट तिथि से पांच साल अधिक होनी चाहिए।
• प्राॅपर्टी बिक्री योग्य होनी चाहिए।
SBI प्राॅपर्टी लोन रकम (Loan Amount)
माॅर्गेज लोन (प्राॅपर्टी लोन) अमाउंट तय करने में मुख्य भूमिका लोन टू वैल्यू रेश्यो (LTV) की होती है। हालांकि और भी कई कारक हैं जिनकी वजह से प्राॅपर्टी लोन की रकम कम या ज्यादा हो सकती है जैसे-
लोन की अवधि
आवेदक की इनकम
आवेदक की आयु
आवेदक का सिबिल स्कोर
प्राॅपर्टी की लोकेशन
प्राॅपर्टी का प्रकार
प्राॅपर्टी की उम्र
ये सभी प्राॅपर्टी लोन की रकम को प्रभावित करते हैं। भारतीय स्टेट बैंक सामान्यतः प्राॅपर्टी की वैल्यू का 40 से 60 प्रतिशत लोन देता है। वही लोन की रकम 10 लाख से 15 करोड रूपए के बीच हो सकती है। SBI बंधक ऋण की अधिकतम राशि निम्न प्रकार हो सकती हैं-
शहरी गैर-बीपीआर केंद्रों के लिए: 1 करोड़ रूपए।
राष्ट्रीय राजधानी केंद्र (NCR), मुंबई, पुणे, चेन्नै , अहमदाबाद, बैंगलोर और हैदराबाद के नगर निगम की सीमा के अंदर की प्राॅपर्टी के लिए अधिकतम 5 करोड़ रुपए।
अन्य बीपीआर केंद्रों पर- 2 करोड़ रुपए।
एसबीआई बंधक लोन आवेदन प्रक्रिया
भारतीय स्टेट बैंक से बंधक ऋण (Mortgage Loan) एक सामान्य प्रक्रिया के तहत लोन दिया जाता हैं। जिसमें निम्न चरण हो सकते हैं-
• आवेदन फार्म भरकर बैंक में जमा करना
• लोन रकम का चुनाव करना
• प्राॅपर्टी व आय संबधी दस्तावेज जमा करना।
• आवेदनकर्ता की सामान्य जानकारी के साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाना।
• प्राॅपर्टी का निरीक्षण व आंकलन करना।
• कानूनी जांच सुनिश्चित करना।
• लोन रकम मंज़ूर करके लोन की रकम आवेदनकर्ता के अकाउंट में ट्रांसफर करना।
ये कुछ मुख्य चरण है जिसके अनुरूप एसबीआई प्राॅपर्टी लोन दिया जाता हैं।
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एसबीआई माॅर्गेज लोन ईएमआई
एसबीआई बंधक ऋण के लिए ईएमआई का चुनाव लोन की रकम, आवेदनकर्ता की आय व लायबिलिटी के अनुसार तय की जा सकती हैं।
आवेदक की कुल वार्षिक आय के अनुसार अधिकतम ईएमआई रकम निम्न प्रकार हों सकती हैं-
वार्षिक आय | ईएमआई / मासिक आय |
---|---|
3 लाख से 5 लाख तक होने पर | मासिक आय का 50% |
5 लाख से 10 लाख तक होने पर | मासिक आय का 55% |
10 लाख से अधिक होने पर | मासिक आय का 60% |
बंधक लोन ध्यान रखने योग्य बातें
बैंकों / एनबीएफसी की तुलना करना
बंधक लोन लंबी अवधि के लिए मिलने वाला लोन होता हैं। जिसके कारण ऊधारकर्ता को अधिक ब्याज चुकाना पड़ता हैं। इसलिए बैंक व वित्तीय संस्थान की तुलना करने के बाद ही लोन के लिए अप्लाई करना चाहिए। जिस बैंक से किफायती दरों में लोन प्राप्त हो सके उसी बैंक से लोन लेना चाहिए।
लोन की रकम
लोन की रकम का चुनाव सोच समझकर करना चाहिए। क्योंकि बहुत से लोग लोन की रकम के चुनाव में गलती कर बैठते हैं। वो लोन की रकम को अधिकतम रखतें हैं जबकि आपको अपनी जरूरत के हिसाब से ही रकम का चुनाव करना चाहिए। ऐसा करने से कम रकम पर ब्याज देना होता है।
सिबिल स्कोर / क्रेडिट स्कोर
अच्छा सिबिल स्कोर हमेशा फायदेमंद रहता है। इसलिए अपने क्रेडिट स्कोर का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। लगभग सभी तरह के लोन के लिए क्रेडिट स्कोर अच्छा होना जरूरी होता है। क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर कम ब्याज दर के साथ लोन अप्रूवल मे भी आसानी होती है।
लोन लेने का उद्देश्य
जब भी आप बंधक ऋण के लिए अप्लाई करें तो आपका लोन लेने का उद्देश्य (Purpose) साफ होना चाहिए। बैंक आपसे लोन लेने का उद्देश्य ज़रूर पूछेगा कि आप लोन का इस्तेमाल किस काम के लिए करोगे। आपका उद्देश्य ऐसा होना चाहिए जो आपके लिए बेहद जरूरी हैं जैसे बच्चों की शिक्षा के लिए, बच्चों की शादी के खर्चों के लिए, बिजनेस में ग्रोथ के लिए आदि।
यदि आप बैंक को बताएंगे कि आप लोन की रकम को शेयर मार्केट या सट्टा बाजार मे इस्तेमाल करेंगे या कोई दूसरी प्राॅपर्टी खरीदेंगे तो इसके लिए बैंक आपको लोन नहीं देगा और आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाएगी। हालांकि लोन के उद्देश्य के बारे में बैंक ऊधारकर्ता से केवल लोन एप्लीकेशन में ही पूछता है। इसके लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं मांगता हैं फिर भी लोन का उद्देश्य कोई महत्वपूर्ण कार्य होना चाहिए।
लोन की ईएमआई
लोन भुगतान के लिए अधिकतम ईएमआई बैंक द्वारा मापदंड के अनुसार तय की जा सकती हैं।
लोन की रिपेमेंट के लिए ईएमआई का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपने सभी खर्चों को ध्यान में रखकर चुकाने योग्य रकम की ईएमआई का चुनाव करना चाहिए। ज्यादा रकम की ईएमआई होने पर आर्थिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
प्राॅपर्टी लोन ना चुकाने पर
यदि उधारकर्ता किसी कारणवश लोन की रिपेमेंट नही कर पाता हैं तो उधारकर्ता के पास प्राॅपर्टी को बेचने का पूरा हक रहता है। ऐसे में उधारकर्ता प्राॅपर्टी को अच्छे दामों में बेचकर लोन का भुगतान कर सकता हैं। अन्यथा बैंक जिस भी रेट मे प्राॅपर्टी को नीलाम करता है उधारकर्ता को वही स्वीकार करना होगा।
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भारतीय स्टेट बैंक बंधक लोन FAQs
• नागरिकता: भारतीय या एनआरआई
• रोजगार: स्व-नियोजित या वेतनभोगी
• आयु: 18 से 70 वर्ष
• मासिक आय: न्यूनतम 25000 रूपए
• क्रेडिट इतिहास
• प्राॅपर्टी की लोकेशन, कीमत, आयु।
• पहचान का प्रमाण
• पते का प्रमाण
• आय का प्रमाण
• प्राॅपर्टी का प्रमाण
• फोटोग्राफ
एसबीआई प्राॅपर्टी लोन की ब्याज दर 8.60% से 10% के बीच होती हैं।
एसबीआई प्राॅपर्टी लोन की प्रोसेसिंग फीस लोन की रकम का 1 प्रतिशत होती हैं।
एसबीआई बंधक ऋण के तहत एलटीवी अनुपात लोन की रकम के अनुसार निर्धारित होता हैं-
एक करोड तक लोन राशि के लिए- 65 प्रतिशत
एक करोड़ से पांच करोड़ तक की लोन राशि के लिए- 60 प्रतिशत
एसबीआई बंधक ऋण के लिए भुगतान अवधि 5 वर्ष से 15 वर्ष होती हैं।
• शादी के खर्च
• शिक्षा संबंधी खर्च
• स्वास्थ संबंधी खर्च
• व्यवसाय संबंधी खर्च
• व्यक्तिगत खर्च आदि को पूरा करना एसबीआई बंधक ऋण लेने के उद्देश्य हो सकते हैं। हालांकि इनके लिए किसी तरह का कोई प्रमाण नहीं मांगता है।
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