बाइक लोन ना चुका पाने पर क्या होगा, bike loan na chukane par Kya Hota Hai
बाइक लोन ना चुका पाने पर क्या होगा?

बाइक लोन न चुका पाने पर क्या होगा, बैंक क्या कार्यवाही कर करेगा। क्या हमें जेल होगी, क्या हमें कोर्ट में जाना होगा। ये कुछ सवाल हैं जो लोन की ईएमआई ना भर पाने पर हर किसी के मन मे आते हैं।
बाइक का लोन सिक्योर्ड लोन होता है। बैंक लोन के बदले बाइक के लीगल कागज को सिक्योरिटी के तौर पर रखता है। लोन की रिपेमेंट ना होने पर बैंक बाइक को जब्त कर सकता हैं।
इसके अलावा और भी कई तरह से बैंक ऊधारकर्ता से पैसे ले सकता हैं या ऊधारकर्ता के खिलाफ कार्यवाही कर सकता हैं।
यदि आपने लोन की रिपेमेंट नही की हैं और आपके पास पैसे हैं तो आपको लोन की रिपेमेंट कर देनी चाहिए।

बाइक लोन क्या होता है?

बाइक खरीदने के लिए प्रर्याप्त रूपए ना होने पर बैंक या एनबीएफसी से लिये गये लोन को बाइक लोन कहते हैं। लोन लेकर कुछ रकम का भुगतान करके बाइक अपने घर ला सकते हैं। कुछ बैंक बाइक की कीमत का 70 से 80 प्रतिशत लोन देते हैं तो कुछ बैंक बाइक की कीमत का 100 प्रतिशत लोन भी देते हैं इसे जीरो डाउन पेमेंट बाइक लोन कहते हैं।

बाइक लोन ना चुका पाने पर बैंक क्या कर सकता है

बैंक के पास पूरा अधिकार होता है कि वह किसे लोन दे और किसे नही। कोई भी व्यक्ति बैंक से जबरदस्ती ऊधार नहीं ले सकता है।
यह बैंक के विवेक पर निर्भर करता है कि किसे लोन देना हैं और किसे नहीं।
यदि बैंक को लगता है कि ऊधारकर्ता लोन को चुकाने में सक्षम है तो ही लोन दिया जा सकता हैं। आरबीआई की गाइडलाइंस भी यही कहती हैं कि बैंक अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके उस व्यक्ति को ही लोन दे जो लोन चुकाने मे सक्षम है। अन्यथा लोन की रिपेमेंट ना होने का उत्तरदायी पूर्ण रूप से बैंक ही होगा। इसी लिए लोन की रिपेमेंट ना होने पर बैंक ऊधारकर्ता के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं कर सकता हैं। और ना ही ऊधारकर्ता को जेल पहुंचा सकता हैं।

बैंक के क्या अधिकार है

सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आखिर बैंक के पास कौन-कौन से अधिकार है जिनके तहत आपसे लोन की रिकवरी कर सकता हैं।
• बैंक आपके पास एक लीगल नोटिस भिजवा सकता हैं।
• यदि आपने बैंक को कोई चेक दिया है तो बैंक चेक के द्वारा लोन की रकम ले सकता हैं।
• बैंक आपके अकाउंट से ECS (Electronic Clearing Service) द्वारा लोन की रकम ले सकता हैं।
• वाहन के लीगल कागज बैंक के पास ही रहते हैं मतलब बैंक वाहन को अपने नाम करा सकता है।
• बैंक फाइनेंस किये गये वाहन को जब्त कर सकता हैं।
• बैंक कोर्ट के आदेश पर आपकी संपत्ति को कुर्क कर सकता है।
• बैंक लोन रिपेमेंट की रिपोर्ट के साथ आपके सिबिल स्कोर को खराब कर सकता हैं। जिससे भविष्य में लोन मिलना बहुत मुश्किल हो सकता हैं।

ऊधारकर्ता के क्या अधिकार है

• बैंक बिना किसी नोटिस या सुचना के आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता हैं।
• जब भी रिकवरी एजेंट आपके पास आए तो उनके पास लीगल नोटिस होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो आप उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकते है।
• यदि बैंक या एनबीएफसी आपको बहुत ज्यादा परेशान करते हैं तो आप कंज्यूमर कोर्ट मे केस कर सकते हैं।
• ऊधारकर्ता के अकाउंट मे पैसे ना होने पर बैंक जितनी बार ECS करता हैं तो ऊधारकर्ता को हर बार पेनल्टी लगती है अधिक बार ECS करने पर ऊधारकर्ता, बैंक के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट मे केस कर सकता है।
• बैंक सिर्फ महीने में एक बार ECS या चेक लगा सकता हैं।

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बाइक लोन ना चुका पाने पर क्या होता है?

बाइक लोन या अन्य वाहन लोन की ईएमआई ना भरने पर बैंक कुछ सामान्य कदम उठाता है जिनके बारे में ऊधारकर्ता को मालूम होना चाहिए। सबसे पहले बैंक ऊधारकर्ता को इनफार्म करता है व लोन की ईएमआई भरने के लिए कहता है। यदि लगातार तीन या चार किस्त ना भरने पर बैंक कई तरह से कार्यवाही करता हैं

बैंक की तरफ से काॅल या ईमेल कब आते हैं

लोन की एक किस्त ना जमा करने के बाद ही आपको बैंक की तरफ से काॅल या ईमेल आ सकता है जिसमें आपको लोन की ईएमआई जमा करने के लिए कहा जाता है। यह काॅल या ईमेल सिर्फ रिमाइंडर के तौर पर होते है। आपको केवल ईएमआई याद दिलाने के लिए ऐसा किया जाता हैं। क्योंकि कई बार ऊधारकर्ता किस्त जमा करना भूल जाता है।

बैंक नोटिस कब जारी करता है

बैक एक या दो किस्त ना जमा करने पर काॅल व ईमेल करके किस्त जमा करने के लिए कहता है।
यदि ऊधारकर्ता लगातार तीन ईएमआई जमा ना करें तो ऐसे में बैंक एक लिखित रूप में नोटिस भेजता है। जिसमें ऊधारकर्ता की सारी डिटेल्स होती हैं साथ ही लोन की जानकारी व लगने वाले सभी चार्ज दिये होते हैं और बैंक की तरफ से चेतावनी भी दी होती हैं कि लोन ना चुकाने पर आगे की कार्यवाही की जायेगी।

रिकवरी एजेंट कब आते हैं

लोन की रिकवरी करने के लिए बैंक रिकवरी एजेंट को ऊधारकर्ता के पास भेजता है। हालांकि रिकवरी एजेंट तभी आते हैं जब बैंक ऊधारकर्ता को लीगल नोटिस भेजकर सूचना दें देता है। और बैंक कुछ समय की मोहलत और देता है जिसमें लोन की रिपेमेंट फिर से शुरू की जा सकती है।
मोहलत का समय निकल जाने के बाद रिकवरी एजेंट ऊधारकर्ता से संपर्क करतें हैं व ऊधारकर्ता के घर पर भी चले जाते हैं।

बाइक को जब्त किया जा सकता हैं

लोन का भुगतान ना होने पर बैंक का पूरा अधिकार है कि वह आपके वाहन को जब्त कर सकता है। मगर ऐसा नहीं है कि वह बिना किसी नोटिस के आपके वाहन को जब्त कर सकें। वाहन को जब्त करने के बाद कुछ दिन का समय दिया जाता हैं जिसके भीतर लोन का भुगतान करके वाहन को वापिस लिया जा सकता है अन्यथा बैंक वाहन को नीलाम करके लोन की रकम की भरपाई कर सकता है।

प्राॅपर्टी को जब्त कर सकता हैं

यदि आपने लोन लेते समय अपनी प्राॅपर्टी के कागज बैंक को दिये हैं व आपने किसी समझोता के पेपर पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें सर्त लिखीं गई है कि लोन न चुकाने पर आपकी प्राॅपर्टी जब्त कर ली जाएगी तो ऐसे में आपकी प्राॅपर्टी को बैंक बंधक बना सकता हैं। हालांकि ऐसा होना बहुत मुश्किल होता हैं और काफी समय भी लगता है।
कोर्ट मे केस जाने पर आप दोषी पाए जाते हैं जिसमें कोर्ट आपकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश देता है तो आपकी प्राॅपर्टी आपके हाथ से जा सकती हैं।
हालांकि सामान्यतः बाइक लोन में बैंक किसी तरह की संपत्ति के कागज नही मांगता है। और कोर्ट भी बाइक लोन के मामले में किसी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश नहीं देता है।

अकाउंट से पैसे कट सकते हैं

यदि आपका खाता उसी बैंक में हैं जिससे अपने लोन लिया है तो ईएमआई ना भरने पर आपका अकाउंट होल्ड कर दिया जाता हैं। जिसमे आप किसी भी तरह से पैसे नहीं निकाल सकते हैं।
या आपके अकाउंट से लोन के भुगतान के लिए पैसे भी काट लिये जाते हैं।

FIR या जेल हो सकती है या नहीं

बाइक लोन ना चुका पाने पर आपको किसी भी स्थिति में जेल नहीं हो सकती। मगर कुछ मामले हैं जिनके तहत आपके ऊपर FIR या आपको जेल भी हो सकती है।
आपको बता दें कि लोन का भुगतान ना करने का मामला पुलिस कार्रवाई के अधीन नहीं आता है। यह दिवानी मामले (Civil Case) के तहत आता है। आपने कोई आपराधिक कार्य नहीं किया है इसलिए आपके खिलाफ एफआईआर या जेल नहीं होगी।

एफआईआर कब हो सकती है?

सीधे तौर पर बड़े से बड़ा बैंक या एनबीएफसी आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकता हैं मगर कुछ मामलों में आपके खिलाफ एफआईआर हो सकती है जैसे-

• यदि बैंक ने आपसे लोन लेते समय चेक (Cheque) लिया है। तो लोन की किस्त जमा ना करने पर बैंक उस चेक को भरकर बैंक मे लगा देता है। यदि चेक द्वारा लोन की रकम का भुगतान हो जाता हैं तो ठीक हैं वरना चेक बाउंस हो जाता हैं। चेक बाउंस होने के केस में आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती हैं। जिसके तहत आपको प्रावधान के अनुसार दंड दिया जा सकता हैं। इस मामले में आप पर सिर्फ चेक बाउंस की ही केस होता है। लोन की रिपेमेंट से इसका कोई लेना-देना नहीं होता हैं।

• बाइक लोन लेने पर बैंक एक फार्म पर ऊधारकर्ता के हस्ताक्षर लेता है जिसमें साफ तौर पर लिखा होता है कि लोन का भुगतान ना करने पर बाइक का रजिस्ट्रेशन बैंक के नाम हो जाएगा। और बाइक पर पूरा हक बैंक का होगा। ऐसे में लोन का भुगतान ना होने पर बैंक बाइक का रजिस्ट्रेशन अपने नाम करा लेता है। और पुलिस स्टेशन में बाइक की गुमशुदगी या चोरी का मामला दर्ज कर सकता हैं। और पुलिस बाइक के साथ आपको पकड़ती हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

• लोन की रिपेमेंट ना होने पर बैंक रिकवरी एजेंट को आपके पास भेजता है। यदि आप रिकवरी एजेंट से विनम्रता से बात करते हैं। अपनी समस्या बताते हैं तो रिकवरी एजेंट आपसे सिर्फ लोन की रिपेमेंट करने के लिए ही बोल सकता हैं।
और यदि आप रिकवरी एजेंट से हाथापाई करते हैं मा मारपीट करते हैं तो आपके खिलाफ मारपीट की एफआईआर दर्ज हो सकती हैं।

कानूनी कार्रवाई से अलग क्या होता है

ऊपर बताई गई सभी जानकारी कानूनी कार्रवाई के तहत या बैंक व ऊधारकर्ता के अधिकारो के समक्ष थी।
मगर लोन की रिपेमेंट ना करने पर देनिक जीवन मे इससे बहुत अलग होता है। या कहें कि इससे बिल्कुल उल्टा होता हैं।
• बैंक किसी भी तरीके से ऊधारकर्ता से लोन का पैसा वसूलना चाहता है।
• जहां बैंक को लीगल नोटिस के बिना कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए वहां बैंक बिना नोटिस दिए ऊधारकर्ता के बैंक अकाउंट फ्रीज कर देता है।
• बिना लीगल नोटिस पहुचाये ही बैंक रिकवरी एजेंट को ऊधारकर्ता के पास भेजता है। और रिकवरी एजेंट ऊधारकर्ता को मानसिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान करते हैं।
• बिना किसी नोटिस के रिकवरी एजेंट वाहन को जब्त कर लेते हैं। यहां तक की रिकवरी एजेंट के पास या तो नोटिस होता ही नहीं है या डुप्लीकेट नोटिस होता हैं।
• डुप्लीकेट नोटिस में बहुत सारे प्रावधान लिखे होते हैं इन प्रावधानों का लोन की रिपेमेंट ना होने से कोई लेना-देना नहीं होता है। जिनका मकसद ऊधारकर्ता को डराने का होता है जिससे ऊधारकर्ता लोन की रकम चुका दें।
• रिकवरी एजेंट ऊधारकर्ता के साथ बहुत बदतमीजी के साथ पेश आते हैं यहां तक कि गाली गलौज व मारपीट भी करतें हैं।
• रिकवरी के लिए बहुत ज्यादा धमकी भरे फोन काॅल व मैसेज आते हैं।
• कई बार ऊधारकर्ता भी रिकवरी एजेंट की पिटाई करते हैं।
• बिना लीगल नोटिस के वाहन को जब्त करने पर ऊधारकर्ता पुलिस को सूचना देकर वाहन चोरी या का मुकदमा भी दर्ज कर देते हैं।
• बैंक को जब लगता है कि लोन की रिकवरी बहुत मुश्किल है तो बैंक कुछ छूट देकर ऊधारकर्ता से लोन चुकाने के लिए कहता है।
• कोर्ट मे मुकदमा जाने पर ऊधारकर्ता को ही फायदा मिलता हैं। कोर्ट मे कुछ छूट के साथ बैंक और ऊधारकर्ता मे समझोता होता हैं।
• इनके अलावा कई तरीकों से बैंक और ऊधारकर्ता अपनी अपनी मर्जी से कई कदम उठाते हैं।

Disclaimer / अस्वीकरण

इस आर्टिकल मे बताई गई जानकारी बैंक, एनबीएफसी, आरबीआई नियमो व कुछ ऊधारकर्ताओं के अनुभव के आधार पर हैं। यह भी संभव है कि हर किसी के लिए ऐसा ना हो। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप लोन की रिपेमेंट का भुगतान जानबूझ कर बंद ना करें। क्योंकि आपने बैंक या एनबीएफसी का पैसा लिया है तो आपको इसे लोटाना चाहिए।
आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके बता सकते हैं। यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हैं तो आप इसे शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद

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