होम लोन Insurance क्या होता हैं: क्या आपको पता हैं कि घर बनाने के लिए लिया गया लोन का भी इंश्योरेंस कराया जा सकता हैं। Home Loan Insurance Policy क्या हैं इसके बारे में आप शायद ज्यादा नहीं जानते होंगे। इसलिए हम आपको Home Loan Insurance के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
Home Loan Insurance को Home Loan Protection Plan भी कहां जाता हैं। यह मुख्य रूप से होम लोन की राशि को कवर करता हैं।
घर खरीदने या बनाने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ सकती हैं। जब आप होम लोन लेते हैं तो बहुत से बैंक होम लोन के साथ होम लोन इंश्योरेंस लेने की भी डिमांड करते हैं। कई बैंक तो बिना होम लोन इंश्योरेंस के होम लोन देने से मना करतें हैं। मगर आपको पता होना चाहिए कि होम लोन लेने के लिए होम लोन इंश्योरेंस अनिवार्य नहीं हैं। आरबीआई या आईआरडीएआई की कोई भी गाइडलाइंस नहीं है कि होम लोन के साथ होम लोन इंश्योरेंस भी लेना अनिवार्य हैं।
होम लोन इंश्योरेंस क्या हैं?
होम लोन लेने वाले व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु होने पर होम लोन का सारा खर्च परिवार पर आ जाता हैं। और यदि परिवार होम लोन को चुकाने में सक्षम नहीं होता हैं तो परिवार को अपना घर खाली करना पड़ सकता हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए होम लोन इंश्योरेंस या होम लोन प्रोटेक्शन प्लान लिया जाता हैं।
किसी दुर्घटना मे मृत्यु होने के अलावा पूर्ण रूप से विकलांग होने, गंभीर बिमारी होने पर या नौकरी छूटने पर भी होम लोन इंश्योरेंस, होम लोन को कवर करती हैं।
होम लोन चुकाने की अवधि के दौरान होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी धारक की मृत्यु हो जाती हैं तो इंश्योरेंस कंपनी लोन की राशि का भुगतान करती हैं। इसीलिए इसे होम लोन इंश्योरेंस या होम लोन प्रोटेक्शन प्लान (HLPP) कहते हैं।
Home Loan Insurance Policy Types
होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी मुख्य रूप से दो तरह की होती हैं। यह होम लोन की राशि के अनुसार दो तरह से कवर प्रदान करती हैं।
Reduce Cover Home Loan Insurance Policy
Reduce Cover Policy में समय के साथ सम एश्योर्ड या बीमित राशि कम होती जाती हैं। क्योंकि यह होम लोन की रकम के बराबर होती हैं। जैसे जैसे होम लोन की बकाया राशि कम होती जाती हैं वैसे ही Reduce Cover होम लोन इंश्योरेंस का सम एश्योर्ड भी घटता जाता हैं। व लोन चुकाने के दौरान लोन धारक की मृत्यु होने पर जितनी होम लोन राशि बकाया रहती हैं उतनी रकम ही पाॅलिसी कवर करती हैं। ऐसी पाॅलिसी का प्रीमियम कम होता हैं।
उदाहरण: मानकर चलिए कोई व्यक्ति 40 लाख का होम लोन 20 साल के लिए लेता है। यदि पांच साल बाद लोन धारक की मृत्यु हो जाती हैं और उस समय होम लोन की बकाया राशि 35 लाख रहती हैं तो इंश्योरेंस पाॅलिसी केवल 35 लाख रूपए ही मृतक के परिवार को देगी जिससे बकाया लोन चुकाया जा सकें।
Fixed Cover Home Loan Insurance Policy
Fixed Cover Home Loan Insurance Policy में बीमित राशि, होम लोन चुकाने के दौरान एक समान (Fixed) रहती हैं। लोन चुकाने के दौरान पाॅलिसी धारक की मृत्यु होने पर पूरा सम एश्योर्ड का भुगतान किया जाता हैं।
उदाहरण: यदि पाॅलिसी धारक ने 40 लाख रूपए के होम लोन पर 20 साल के लिए इंश्योरेंस कराया है। तो पाॅलिसी का सम एश्योर्ड 40 लाख रूपए होगा। यदि लोन की अवधि (20 साल) के भीतर कभी भी लोन धारक की मृत्यु होती हैं तो इंश्योरेंस कंपनी मृतक के परिवार को पूरे 40 लाख रूपए ही देंगी। इस तरह की पाॅलिसी खरीदने पर प्रीमियम अधिक होता हैं।
Home Loan Insurance कितने समय के लिए होता हैं?
होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि होम लोन की अवधि के समान ही होती हैं। होम लोन की अवधि के दौरान लोन धारक की मृत्यु होने पर लोन का भुगतान कर यह पाॅलिसी बंद हो जाती हैं।
यदि कोई व्यक्ति 25 साल के लिए होम लोन लेता है तो होम लोन इंश्योरेंस की अवधि भी 25 साल होगी।
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प्रीमियम कितना जमा करना पड़ता हैं?
अधिकतर पाॅलिसी देने वाली कंपनी एकमुश्त प्रीमियम भुगतान का विकल्प देती हैं। एकमुश्त प्रीमियम जमा करने पर प्रीमियम में छूट भी मिल जाती हैं। होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम कितना होगा यह कई बातों पर निर्भर करता हैं जैसे-
लोन की रकम
होम लोन की रकम जितनी ज्यादा होगी होम लोन इंश्योरेन्स का प्रीमियम भी उतना ज्यादा होगा। क्योंकि लोन की रकम ही पाॅलिसी का सम एश्योर्ड होता हैं। इसलिए ज्यादा सम एश्योर्ड के लिए अधिक प्रीमियम देना पड़ता हैं।
लोन की अवधि
लोन की अवधि भी पाॅलिसी के प्रीमियम को प्रभावित करती हैं। लंबी अवधि के लिए अधिक प्रीमियम देना पड़ता हैं। वही यदि लोन की अवधि कम हो तो कम प्रीमियम देना पड़ता हैं।
पाॅलिसी धारक की उम्र
पाॅलिसी धारक की उम्र भी पाॅलिसी के प्रीमियम को तय करने में महत्वपूर्ण होती हैं। पाॅलिसी धारक की उम्र जितनी ज्यादा होगी होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम भी उतना ज्यादा होगा।
पाॅलिसी धारक की आय
पाॅलिसी धारक की आय अधिक होने पर पाॅलिसी मे जोखिम कम हो जाता हैं जिसके कारण कम प्रीमियम में भी पाॅलिसी मिल जाती हैं।
पाॅलिसी धारक की मेडिकल हिस्ट्री
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए पाॅलिसी का प्रीमियम कम होता है। वही मेडिकल हिस्ट्री अच्छी न होने पर प्रीमियम अधिक देना होता हैं।
सामान्यतः होम लोन की औसतन प्रीमियम लोन की कुल रकम का 2 से 3 प्रतिशत हो सकता हैं।
होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी कैलकुलेशन
यदि आप 40 लाख रुपए का होम लोन 20 साल के लिए लेते हैं तो आपको लोन के साथ व अलग कितना प्रीमियम देना होगा-
लोन की रकम = 40 लाख
लोन की अवधि= 20 साल
लोन की ब्याज दर= 8.5% वार्षिक
लोन की मासिक किस्त= 34714 रूपए
होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम= 40 लाख का 2.5 प्रतिशत
= 4000000×2.5%=100000 रूपए
मासिक प्रीमियम = 416 रूपए
सालाना प्रीमियम = 5000 रूपए
लोन किस्त + प्रीमियम= 35130 रूपए
लोन में ही प्रीमियम जोड़ने पर आपको हो सकता हैं कुछ कम प्रीमियम देना पड़े।
इस तरह से 40 लाख का होम लोन 20 साल के लिए लेने पर आपको होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम 100000 रूपए भरना होगा। और यदि लोन के साथ ही प्रीमियम जोड़ते हैं तो हर महीने की किस्त 35130 रूपए की होगी। जिसमें 416 रूपए अतिरिक्त होम लोन इंश्योरेंस प्रीमियम की वजह से ही होंगे।
प्रीमियम कैसे जमा कर सकते हैं
अधिकतर पाॅलिसी कंपनी होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम एकमुश्त (Lump Sum) जमा करने का विकल्प देती हैं। ऐसा करने पर पाॅलिसी धारक को छूट भी मिल जाती हैं। मगर इसके अलावा और भी तरीकों से प्रीमियम जमा किया जा सकता हैं जैसे-
एकमुश्त प्रीमियम
होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम आप होम लोन से अलग एकमुश्त जमा कर सकते हैं। ऐसा करने पर प्रीमियम में छूट भी मिल सकती हैं। और टैक्स में भी लाभ मिलता हैं।
होम लोन के साथ
यदि आप होम लोन व होम लोन इंश्योरेंस संयुक्त (Joint) रूप से लेते हैं तो होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम भी लोन में जोड दिया जाता हैं। इंश्योरेंस का प्रीमियम एकमुश्त होम लोन की रकम में से जमा हो जाता हैं। जिसके चलते होम लोन की किस्त अधिक राशि की हो जाती हैं। ऐसा करने पर आपको टैक्स बेनेफिट नहीं मिलता हैं।
होम लोन इंश्योरेंस कहां से लें
बहुत से बैंक व एनबीएफसी या इंश्योरेंस कंपनी, होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी देती हैं। आप कहीं से भी होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी लें सकते हैं।
या जहां से आप होम लोन लेते हैं वहां से भी होम लोन व पाॅलिसी संयुक्त रूप से ली जा सकती हैं।
आप किसी अन्य बैंक या एनबीएफसी से भी होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी लें सकते हैं।
होम लोन इंश्योरेंस के फायदे
होम लोन इंश्योरेंस के बहुत से फायदे होते हैं जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी हैं।
• होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के बाद होम लोन रकम कवर हो जाती हैं।
• लोन धारक की मृत्यु हो जाने पर लोन का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी करती हैं।
• लोन धारक की मृत्यु के बाद परिवार पर लोन का बोझ नहीं आता है।
• होम लोन इंश्योरेंस पॉलिसी कराने पर टैक्स में छूट भी मिल सकती हैं।
• बीमा का प्रीमियम लोन की रकम से भी जमा हो जाता हैं जिसके लिए अलग से पैसे की जरूरत नहीं होती हैं।
• पूर्ण रूप से विकलांग होने पर भी लोन कवर मिलता हैं।
• किसी कारण से बीमित व्यक्ति की नौकरी छूट जाती हैं तो तीन महीने की किस्तों का भुगतान बीमा कंपनी करती हैं।
• लोन लेने वाले व्यक्ति को गंभीर बिमारी होने पर भी बीमा कंपनी लोन का भुगतान करती हैं।
• एकमुश्त प्रीमियम का भुगतान होने पर पाॅलिसी रिन्यू करने की परेशानी खत्म हो जाती हैं।
होम लोन इंश्योरेंस लेने पर टैक्स छूट
यदि आप होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम होम लोन में ऐड ना करके अपनी तरफ से प्रीमियम जमा करते हैं तो आपको कर अधिनियम 80 सी के तहत टैक्स लाभ मिलता हैं।
यदि आप होम लोन इंश्योरेंस प्रीमियम को होम लोन में जुड़वां लेते हैं तो आपको टैक्स बेनेफिट नहीं मिलता हैं।
आपको इस पाॅलिसी से अधिकतम 1.5 लाख रुपए की टैक्स में छूट मिल सकती हैं।
किन स्थितियों में फायदा नहीं मिलेगा
• होम लोन किसी दूसरे को ट्रांसफर करते हैं तो होम लोन इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिलता हैं।
• समय से पहले पाॅलिसी बंद करने पर भी बेनेफिट खत्म हो जाता हैं।
• आत्महत्या या स्वाभाविक मृत्यु होने पर भी पाॅलिसी कवर नहीं करती हैं।
• प्रीमियम होम लोन मे ऐड करने पर टैक्स में छूट नहीं मिलती हैं।
• नौकरी छूटने पर बीमा कंपनी केवल तीन महीने की किस्त जमा कर सकती हैं
किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए
होम लोन इंश्योरेंस या होम लोन प्रोटेक्शन प्लान लेते समय आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे आपको अधिक लाभ मिल सकें।
• आप पाॅलिसी लेने से पहले दूसरे प्लान जैसे टर्म इंश्योरेन्स प्लान की तुलना भी कर सकते हैं।
• टर्म इंश्योरेन्स की तुलना में होम लोन इंश्योरेंस महंगा पड़ता हैं।
• कम आयु के व्यक्ति के लिए होम लोन इंश्योरेंस का प्रीमियम कम होता है।
• होम लोन के साथ होम लोन बीमा का प्रीमियम जोड़ने पर आपको अधिक किस्तों का भुगतान करना पड़ता हैं।
• होम लोन मे होम लोन बीमा का प्रीमियम जोड़ने पर टैक्स छूट नहीं मिलती हैं।
• मृत्यु के अलावा गंभीर बिमारी, विकलांग होने या नौकरी छूटने को भी बीमा में कवर करने के लिए प्रीमियम अधिक देना पड़ सकता हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से आपने होम लोन इंश्योरेंस के बारे में बहुत कुछ सीखा होगा। जैसे होम लोन इंश्योरेंस क्या होता हैं, होम लोन इंश्योरेंस प्रीमियम कितना होता हैं, होम लोन बीमा कैसे लेते हैं, होम लोन इंश्योरेंस के फायदे व ध्यान रखने योग्य बातें।
उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हैं तो आप इसे शेयर करना ना भूलें।
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