
अप्रैल में ब्याज दरों में कटौती के बाद अब SBI ने मई 2025 के लिए कोई बदलाव नहीं किया है। जानिए इससे आपके होम लोन और EMI पर क्या असर पड़ेगा।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मई 2025 के लिए अपने लोन की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब ये है कि बैंक की MCLR और Repo Linked दरें पहले जैसी ही बनी रहेंगी, जिससे ग्राहकों की EMI नहीं बढ़ेगी।
अप्रैल 2025 में SBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी। यह कटौती तब की गई थी जब RBI ने रेपो रेट को 6.25% से घटाकर 6.00% कर दिया था। इसके बाद अब मई में SBI ने ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला लिया है।
SBI की नई EBR (External Benchmark Rate) – 8.65%
SBI ने 15 अप्रैल 2025 से जो EBR लागू की है, वह इस प्रकार है:
- RBI रेपो रेट: 6.00%
- बैंक स्प्रेड: 2.65%
- कुल EBR: 8.65%
यह दर उन लोन पर लागू होती है जो फ्लोटिंग रेट पर होते हैं, जैसे कि होम लोन और कार लोन।
RLLR (Repo Linked Lending Rate) क्या है?
RLLR भी रेपो रेट से जुड़ी होती है, लेकिन इसमें ग्राहक के CIBIL स्कोर और जोखिम के अनुसार Credit Risk Premium (CRP) जोड़ा जाता है। SBI की नई RLLR है:
- RLLR = 6.00% + 2.25% = 8.25%
- MCLR दरों में कोई बदलाव नहीं
मई 2025 के लिए SBI की MCLR दरें इस प्रकार हैं:
- ओवरनाइट: 8.20%
- 1 महीना: 8.20%
- 3 महीने: 8.55%
- 6 महीने: 8.90%
- 1 साल: 9.00%
- 2 साल: 9.05%
- 3 साल: 9.10%
ध्यान दें कि 1 अक्टूबर 2019 के बाद से SBI जैसे बैंक, ज़्यादातर लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क (EBR या RLLR) से जोड़ रहे हैं।
SBI की होम लोन ब्याज दरें (15 अप्रैल 2025 से लागू)
- सामान्य ब्याज दरें: 8.00% से 8.95%
- Maxgain OD लोन: 8.25% से 9.15%
- टॉप-अप लोन: 8.30% से 10.80%
ग्राहकों को क्या फायदा होगा?
इस फैसले से उन ग्राहकों को राहत मिलेगी जो पहले से SBI से होम लोन या अन्य फ्लोटिंग रेट लोन ले चुके हैं। उनकी EMI में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। साथ ही जो लोग नया लोन लेने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह अच्छा मौका हो सकता है।
रेपो रेट में बदलाव का सीधा असर ग्राहकों पर
RBI द्वारा रेपो रेट में बदलाव करना बैंकों की लेंडिंग और डिपॉजिट दरों को प्रभावित करता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक सस्ती दरों पर फंड प्राप्त कर सकते हैं और इसका फायदा ग्राहकों को भी मिलता है। SBI ने इसी नीति के तहत अप्रैल में अपनी लोन दरों में कटौती की थी, जिससे होम लोन, कार लोन, और पर्सनल लोन सस्ते हो गए थे।
MCLR और RLLR में क्या फर्क है?
- MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) बैंक की अपनी लागत पर आधारित होता है, जिसमें बैंक की ऑपरेटिंग लागत और अन्य फैक्टर जुड़े होते हैं।
- RLLR (Repo Linked Lending Rate) सीधा RBI की रेपो रेट से जुड़ा होता है और इसमें ग्राहक के जोखिम स्तर के अनुसार प्रीमियम जोड़ा जाता है।
- नए लोन अब अधिकतर RLLR या EBR पर आधारित होते हैं, जिससे रेट्स में पारदर्शिता आती है और बदलाव का असर जल्दी होता है।
किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
- वे ग्राहक जिनके लोन RLLR या EBR से जुड़े हैं, उन्हें सबसे पहले राहत मिलेगी क्योंकि उनकी ब्याज दरें सीधे रेपो रेट से जुड़ी हैं।
- नए लोन लेने वाले ग्राहक कम ब्याज दरों पर लोन प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी EMI कम होगी।
- लंबी अवधि के होम लोन वाले ग्राहकों को EMI में स्थिरता का फायदा मिलेगा।
SBI क्यों नहीं बढ़ा रहा ब्याज दरें?
SBI ने फिलहाल बाज़ार में स्थिरता को ध्यान में रखते हुए दरें पहले के समान रखने का फैसला किया है। बैंक अपने ग्राहकों को राहत देने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना चाहता है। इससे कर्ज लेना आसान होगा और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर को भी मदद मिलेगी।
कैसे जानें कि आपका लोन किस रेट से जुड़ा है?
अगर आपने अक्टूबर 2019 के बाद लोन लिया है, तो आपका लोन EBR या RLLR से जुड़ा हो सकता हैं। इससे पहले लिए गए लोन MCLR या Base Rate से जुड़े हो सकते हैं। आप अपने बैंक स्टेटमेंट, लोन एग्रीमेंट या SBI की ब्रांच में जाकर यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या करें ग्राहक?
अगर आपका लोन पुरानी रेट प्रणाली से जुड़ा है, तो आप उसे EBR या RLLR से लिंक करवाने के लिए SBI से संपर्क कर सकते हैं।
EMI को कम करने के लिए लोन ट्रांसफर (Balance Transfer) का विकल्प भी देख सकते हैं।
नए लोन के लिए यह सही समय हो सकता है क्योंकि ब्याज दरें स्थिर और कम बनी हुई हैं।
ये भी पढ़ें –
फिक्स्ड रेट पर होम लोन लेकर: EMI रहेगी कंट्रोल में, जानें क्यों है ये समझदारी भरा फैसला
₹15000 की सैलरी में मिल सकता है होम लोन! जानें कितनी राशि मिलेगी और कैसे पाएं आसान अप्रुवल