यदि आप पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो आपको पर्सनल लोन से जुडी़ बहुत सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिससे आप परेशानी मुक्त व किफायती दरों पर लोन ले पाएंगे। दरअसल पर्सनल लोन बहुत जल्दी मिलने वाला लोन होता हैं। जिसके कारण पर्सनल लोन का चलन काफी ज्यादा हो चुका है। बैंक व एनबीएफसी सिर्फ ऊधारकर्ता की रिपेमेंट क्षमता को देखते हुए लोन मंजू़र कर लेते हैं। पर्सनल लोन लेकर बहुत से काम समय पर किये जा सकतें हैं। फिर भी पर्सनल लोन लेते समय आपको कुछ कारकों पर जरुर नजर रखनी चाहिए। जैसे-
सिबिल स्कोर अच्छा बनाए रखें
पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन होता हैं जिसके लिए आपका सिबिल स्कोर अच्छा होना बेहद जरूरी होता हैं। कोई भी बैंक व एनबीएफसी पर्सनल लोन देने से पहले आवेदनकर्ता का सिबिल स्कोर चेक करता हैं। सिबिल स्कोर कम होने पर लोन अप्रूव होना बेहद मुश्किल होता हैं। तथा सिबिल स्कोर के अनुसार भी लोन की रकम, ब्याज दर व रिपेमेंट अवधि निर्धारित की जाती हैं।
विभिन्न बैंकों की तुलना करें
पर्सनल लोन अप्लाई करने से पहले आप कई बैंकों व एनबीएफसी की तुलना कर सकते हैं। अलग-अलग बैंक, पर्सनल लोन के लिए अलग-अलग ब्याज दर तय करते हैं। इसलिए आपको बैंकों व एनबीएफसी की ब्याज दरों की तुलना करनी चाहिए। जिसके आप कम ब्याज दर पर पर्सनल लोन ले पाएंगे। एनबीएफसी की तुलना में बैंकों से पर्सनल लोन लेना थोड़ा मुश्किल होता हैं। मगर बैंकों की ब्याज दर एनबीएफसी की तुलना में कम होती हैं। वहीं एनबीएफसी, विभिन्न बैंकों की तुलना में जल्दी लोन मंज़ूर करती हैं। मगर एनबीएफसी की ब्याज दर व प्रोसेसिंग फीस ज्यादा होती हैं।
प्रोसेसिंग फीस को जरूर समझें
लगभग सभी बैंकों व एनबीएफसी के द्वारा पर्सनल लोन के तहत प्रोसेसिंग फीस लागू की जाती हैं। जबकि इसके बारे में पहले नही बताया जाता हैं। आपको पर्सनल लोन लेने से पहले प्रोसेसिंग फीस के बारे में जरूर जानकारी लेनी चाहिए। प्रोसेसिंग फीस, लोन की रकम का 0.5 से 2.0 फीसदी तक हो सकती हैं। कई एनबीएफसी इससे ज्यादा भी प्रोसेसिंग वसूलती हैं जबकि बहुत से बैंक प्रोसेसिंग में छूट भी देते हैं। आप लोन लेते समय बैंक या एनबीएफसी से प्रोसेसिंग फीस में छूट के लिए भी कह सकते हैं।
लोन की रकम ज्यादा ना रखें
पर्सनल लोन लेते समय आपको अपनी जरूरत के अनुसार ही लोन की रकम का चयन करना चाहिए। क्योंकि पर्सनल सबसे ज्यादा ब्याज दर पर मिलने वाला लोन होता हैं। ज्यादा रकम ऊधार लेना मतलब ज्यादा ब्याज चुकाना। इसलिए आपको लोन की रकम कम से कम रखनी चाहिए। बहुत से ऊधारकर्ता अपनी जरूरत से ज्यादा पर्सनल लोन ले लेते हैं, उन्हें बाद में रिपेमेंट करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
रिपेमेंट अवधि छोटी रखें
आप जान चुके हैं कि पर्सनल लोन की ब्याज दर अन्य लोन की तुलना में ज्यादा होती हैं। लंबी अवधि के लिए लोन लेने पर ब्याज दर और भी ज्यादा निर्धारित की जाती हैं। इसके साथ ही लंबी अवधि के दौरान ब्याज की रकम भी काफी ज्यादा हो सकती हैं। इसलिए लोन की रिपेमेंट अवधि छोटी रखनी चाहिए।
ईएमआई की रकम बढ़ाए
ईएमआई का चुनाव करना थोड़ा मुश्किल हो सकता हैं। क्योंकि छोटी ईएमआई करने पर रिपेमेंट अवधि लंबी हो जाती हैं, और ईएमआई बढ़ाने पर हर माह ईएमआई का बोझ बढ़ जाता हैं। इसके लिए आपको अपने अनुसार चुकाने योग्य रकम की ईएमआई का चयन करना चाहिए। यदि आप समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं कर पाते हैं तो आपको अतिरिक्त शुल्क का भुगतान भी करना पड सकता हैं। आपको कोशिश करनी चाहिए कि ईएमआई की रकम अधिक रखें। जिससे आप लोन के बोझ से जल्दी मुक्त हो सकें।
बकाया लोन रहते पर्सनल लोन ना लें
यदि आप वर्तमान मे किसी अन्य लोन की ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं। और आप एक और पर्सनल लोन लेना चाहते हैं, तो ऐसा करना आपके लिए थोड़ा महंगा पड़ सकता हैं। क्योंकि किसी अन्य लोन का बकाया रहते हुए दूसरा लोन अप्लाई करने पर आपकी रिपेमेंट क्षमता कम हो जाती हैं। जिसके चलते लोन की ब्याज दर अधिक तय की जाती हैं। क्योंकि ऐसी स्थिति में ऊधारकर्ता की एनएमआई और ईएमआई में संतुलन बना पाना मुश्किल होता हैं। जिसके कारण बैंक को जोखिम ज्यादा रहता हैं। इसलिए बैंक ऊंची ब्याज दर पर लोन मुहैया करता हैं।
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